Mera Lahuluan Punjab Paperback – 1 January 2007

Original price was: ₹195.00.Current price is: ₹120.00.

By : Khushwant Singh (Author)

Product details

  • Publisher ‏ : ‎ Rajkamal Prakashan; 4th edition (1 January 2007); Rajkamal Prakashan Pvt. Ltd
  • Language ‏ : ‎ Hindi
  • Paperback ‏ : ‎ 168 pages
  • ISBN-10 ‏ : ‎ 8126714565
  • ISBN-13 ‏ : ‎ 978-8126714568
  • Item Weight ‏ : ‎ 131 g
  • Dimensions ‏ : ‎ 20.3 x 25.4 x 4.7 cm
  • Country of Origin ‏ : ‎ India

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Description

बैसाख की पहली तिथि पंजाबी पंचांग के अनुसार नववर्ष दिवस के रूप में मनाई जाती है। इसी दिन 13 अप्रैल, 1978 को जरनैल सिंह भिंडरावाले ने धूम-धड़ाके से पंजाब के रंगमंच पर पदार्पण किया। इस घटना से न केवल पंजाब के जन-जीवन में तूफान आया बल्कि पूरे देश के लिए इसके दूरगामी परिणाम हुए। पूरा पंजाब अशांत और आतंकवाद के हाथों क्षत-विक्षत हो गया और धीरे-धीरे यह समस्या इतनी पेचीदा बन गई कि देश की अंता के लिए यह सचमुच का खतरा बनती दिखाई दी। सुप्रसिद्ध रूप से इस समस्या का इतिहास दर्शाती है, स्वतन्त्रता-प्राप्ति के बाद पंजाबियों के गिले-शिकवों और असंतोष का विवरण देती है, और सभी प्रमुख घटनाओं पर रोशनी डालती है। लेखक का व्यक्तिगत जुड़ाव पुस्तक को विशेष प्रमाणिकता प्रदान करता है, जो लगभग इसके प्रत्येक पृष्ठ पर प्रकट है। इसमें लेखक ने एक तरफ पंजाब की राजनीति तथा दूसरी ओर केंद्र सरकार द्वारा जान-बूझकर खेले जानेवाले शरारतपूर्ण राजनीतिक खेलों पर अपने विचार प्रकट किए हैं। इसका परिणाम यह हुआ कि भारत के सबसे उन्नतिशील राज्य की प्रगति के मार्ग में गत्यवरोध आ गया, यहाँ की कृषि और औद्योगिक अर्थव्यवस्था तहस-नहस होने लगी, इसका प्रशासन और न्यायपालिका पंगु बनकर रह गए। जो लोग इस गत्यवरोध को अधिक गहराई से समझना चाहते हैं उनके लिए यह पुस्तक अवश्य पठनीय है।

About the Author

जन्म: 15 अगस्त, 1915, हडाली (अब पाकिस्तान में)। शिक्षा: लाहौर से स्नातक तथा किंग्स कॉलेज, लंदन से एल.एल.बी.। उपलब्धियाँ: 1939 से 1947 तक लाहौर हाईकोर्ट में वकालत की। विभाजन के बाद भारत की ‘राजनयिक सेवा’ के अन्तर्गत कनाडा में ‘इन्फॉर्मेशन अफसर’ तथा इंग्लैंड में भारतीय उच्चायुक्त के ‘प्रेस अटैची’ रहे। कुछ वर्षों तक प्रिंस्टन तथा स्वार्थमोर विश्वविद्यालयों में अध्यापन भी किया। भारत लौटकर नौ वर्षों तक इलस्ट्रेटेड वीकली तथा तीन वर्षों तक हिन्दुस्तान टाइम्स का कुशल सम्पादन किया। 1980 में राज्यसभा के सदस्य मनोनीत हुए। 1974 में पद्मभूषण की उपाधि मिली, जिसे ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ के खिलाफ गुस्सा जताते हुए लौटा दिया। तीस से अधिक पुस्तकें, जिनमें प्रमुख हैं: ट्रेन टु पाकिस्तान, हिस्ट्री ऑफ सिख्स के दो खंड तथा रंजीत सिंह। राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित पुस्तकें-पाकिस्तान मेल, मेरा लहुलूहान पंजाब, प्रतिनिधि कहानियाँ, सच प्यार और थोड़ी से शरारत, मृत्यु मेरे द्वार पर । निधन: 20 मार्च, 2014.
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Weight 131 g
Dimensions 20.3 × 25.4 × 4.7 cm
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