दोस्त-दुश्मन, जानने-पहचानने वाले, घटनाएं, अपने आस-पास के समाज की सोच और उसकी मंशाएं, यहां तक कि भवन, पेड़-पौधे, जीव-जन्तु कोई नहीं बच पाया खुशवंत सिंह की पैनी नज़र और तेज़-तर्रार कलम से। अपने जीवन में जो देखा, अनुभव किया, हरेक पर उनकी कुछ यादें और धारणाएं हैं जो इस अत्यंत रोचक पुस्तक मंे प्रस्तुत हैं। जहां एक ओर मदर टेरेसा और डाकू फूलन देवी से मुलाकातों की दास्तान है, तो वहीं अपने शहर दिल्ली की शानदार इमारतों की बातें और देश में तेज़ी से बढ़ते ढोंगियों और पाखंडियों का खुलासा किया है। पढ़ना शुरू करें तो आप पन्ने पलटते ही जायेंगे… खुशवंत सिंह एक प्रख्यात पत्रकार, स्तंभकार और लेखक हैं और उनकी लेखन शैली पाठकों में खासी लोकप्रिय है।
About the Author
इस पुस्तक में खुशवंत सिंह की सभी कहानियाँ सम्मिलित हैं। उनकी कहानियाँ समाज के यथार्थ की सच्ची और जीती-जागती तस्वीर प्रस्तुत करती हैं चाहे वह कितनी ही कटु या अप्रिय क्यों न लगे। उन्हें किसी भी प्रकार के आडम्बर से नफ़रत थी और वे अपनी साफ़गोई के लिए जाने जाते थे। स्त्री-पुरुष यौन-संबंधों पर भी वह उतनी ही बेबाकी से बिना किसी लाग-लपेट के लिखते थे, जिसके कारण कई बार उनके लेखन को अश्लील माना जाता था। खुशवंत सिंह की कहानियाँ कहीं व्यंग्यपूर्ण हैं, तो कहीं समाज के ठेकेदारों का पर्दाफाश करते हुए उनके सत्य को उजागर करती हैं और कहीं अपनी मार्मिकता से दिल को छू लेती हैं। खुशवंत सिंह एक प्रख्यात लेखक, पत्राकार, स्तंभकार थे। पद्मभूषण और पद्मविभूषण से सम्मानित, उनका अपना अनोखा लिखने का अन्दाज़ पाठकों में बहुत लोकप्रिय है। औरतें, समुद्र की लहरों में, बोलेगी न बुलबुल अब, मेरा भारत, मेरी दुनिया मेरे दोस्त और टाइगर टाइगर उनकी अन्य लोकप्रिय कृतियाँ हैं।
Reviews
There are no reviews yet.