खुशवंत सिंह का यह उपन्यास जब अंग्रेज़ी में प्रकाशित हुआ तो सभी जगह चर्चा का विषय बन गया क्योंकि यह एक तरह से, प्रच्छन्न रूप में भारत के एक प्रधानमंत्री के जीवन पर आधारित है और इसमें अनेक ऐसी नई बातें उन्होंने लिखी हैं जो पहले प्रकाश में नहीं आईं। उनके बचपन से लेकर लन्दन में उनके किशोर जीवन और बाद में उनके प्रधानमंत्री काल तक सभी अनछुए प्रसंगों का चित्रण है। ऐसे उपन्यास लिखना साहस का काम है। मूलतः अंग्रेज़ी में लिखा गया उपन्यास प्रकाशित होते ही ‘बैस्टसैलर’ बन गया।
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इस पुस्तक में खुशवंत सिंह की सभी कहानियाँ सम्मिलित हैं। उनकी कहानियाँ समाज के यथार्थ की सच्ची और जीती-जागती तस्वीर प्रस्तुत करती हैं चाहे वह कितनी ही कटु या अप्रिय क्यों न लगे। उन्हें किसी भी प्रकार के आडम्बर से नफ़रत थी और वे अपनी साफ़गोई के लिए जाने जाते थे। स्त्री-पुरुष यौन-संबंधों पर भी वह उतनी ही बेबाकी से बिना किसी लाग-लपेट के लिखते थे, जिसके कारण कई बार उनके लेखन को अश्लील माना जाता था। खुशवंत सिंह की कहानियाँ कहीं व्यंग्यपूर्ण हैं, तो कहीं समाज के ठेकेदारों का पर्दाफाश करते हुए उनके सत्य को उजागर करती हैं और कहीं अपनी मार्मिकता से दिल को छू लेती हैं। खुशवंत सिंह एक प्रख्यात लेखक, पत्राकार, स्तंभकार थे। पद्मभूषण और पद्मविभूषण से सम्मानित, उनका अपना अनोखा लिखने का अन्दाज़ पाठकों में बहुत लोकप्रिय है। औरतें, समुद्र की लहरों में, बोलेगी न बुलबुल अब, मेरा भारत, मेरी दुनिया मेरे दोस्त और टाइगर टाइगर उनकी अन्य लोकप्रिय कृतियाँ हैं।
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