टाइगर टाइगर एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कृति है। लेखक खुशवंत सिंह की लंबी लेखन यात्रा में उनका यह एकमात्र नाटक है और हिन्दी में यह पहली बार स्वतंत्र पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जा रहा है। इस रोचक नाटक में उनकी जानी-पहचानी शैली पढ़ने को मिलती है जिसमें थोड़ा मनोरंजन, थोड़ा कटाक्ष, थोड़ी शराब और थोड़ा शबाब सभी का मिश्रण है जो पाठक को शुरू से अंत तक बांधे रखता है। एक संरक्षित जंगल के बीच आबादी से दूर एक होटल है जिसमें पर्यटक जंगली जानवर देखने आते हैं। विभिन्न देशों से आये अलग-अलग संस्कृति और मान्यताओं को मानने वाले पर्यटक, एक साथ जब इकट्ठे होते हैं तो समझो कि ‘ग्रैंड ओल्ड मैन आॅफ़ इंडियन राइटिंग’ खुशवंत सिंह के लिए एक चटपटी मसालेदार सामग्री तैयार है, जिससे बना रोचक नाटक, टाइगर टाइगर।
About the Author
इस पुस्तक में खुशवंत सिंह की सभी कहानियाँ सम्मिलित हैं। उनकी कहानियाँ समाज के यथार्थ की सच्ची और जीती-जागती तस्वीर प्रस्तुत करती हैं चाहे वह कितनी ही कटु या अप्रिय क्यों न लगे। उन्हें किसी भी प्रकार के आडम्बर से नफ़रत थी और वे अपनी साफ़गोई के लिए जाने जाते थे। स्त्री-पुरुष यौन-संबंधों पर भी वह उतनी ही बेबाकी से बिना किसी लाग-लपेट के लिखते थे, जिसके कारण कई बार उनके लेखन को अश्लील माना जाता था। खुशवंत सिंह की कहानियाँ कहीं व्यंग्यपूर्ण हैं, तो कहीं समाज के ठेकेदारों का पर्दाफाश करते हुए उनके सत्य को उजागर करती हैं और कहीं अपनी मार्मिकता से दिल को छू लेती हैं। खुशवंत सिंह एक प्रख्यात लेखक, पत्राकार, स्तंभकार थे। पद्मभूषण और पद्मविभूषण से सम्मानित, उनका अपना अनोखा लिखने का अन्दाज़ पाठकों में बहुत लोकप्रिय है। औरतें, समुद्र की लहरों में, बोलेगी न बुलबुल अब, मेरा भारत, मेरी दुनिया मेरे दोस्त और टाइगर टाइगर उनकी अन्य लोकप्रिय कृतियाँ हैं।
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