- Kitabghar Prakashan (1 January 1995) ublisher :
- Language : Hindi
- Paperback : 132 pages
- ISBN-10 : 8170162882
- ISBN-13 : 978-8170162889
मराठी लेखिका बेबी कॉबले दलित साहित्य की प्रतिनिधि हस्ताक्षर हैं। दलित लोगों के विपन्न, दयनीय और दलित जीवन को आधार बनाकर लिखे गए इस आत्मकथात्मक उपन्यास ने मराठी साहित्य में तहलका मचा दिया था। महाराष्ट्र के पिछड़े इलाके के सुदूर गाँवों में अस्पृश्य माने जाने वाले आदिवासी समाज ने जो नारकीय, अमानवीय और लगभग घृणित जीवन का जहर घूँट घूँट पिया उसका मर्मांतक्ष आख्यान है यह उपन्यास । शुरू से अंत तक लगभग सम्मोहन की तरह बाँधे रखने वाले इस उपन्यास में दलितों के जीवन में जड़ें जमा चुके अंधविश्वास पर तो प्रहार किया ही गया है. उस अंधविश्वास को सचेत रूप से उनके जीवन में प्रवेश दिलाने और सतत पनपाने वाले सवर्णों की साजिश का भी पर्दाफाश किया गया है। इस उपन्यास को पढ़ना महराष्ट्र के डोम समाज ही नहीं वरन् समस्त पददलित जातियों के हाहाकार और विलाप को अपने रक्त में • बजता अनुभव करा है। शोषण, दमन और रुदन का जीवंत दस्तावेज है यह उपन्यास, जो बेबी कांबले ने आत्मकथात्मक लहजे में रचा है।
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